गुलाब
मज़बूर न कर हो जाऊँ ख़फ़ा हो सारे ज़माने में चर्चा कि हर्फ़-ब-हर्फ सभी पढ़ लें खुल जाय कहीं, परचा-परचा  गुलाब जाते-जाते उस दिन तुमने हमें थमाया एक गुलाब पंखुड़ियों में रंगो-बू थी लहक-लहक था सुर्ख गुलाब सुंदर सी इक इत्र की शीशी हमने उसमें रखा गुलाब आब की बूंदें टपका-टपका ताजा-ताज़ा रखा गुलाब हमदम ते…
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'डोलते अक्स' : अब आपके लिए
लखनऊ की सरजमीं, कॉलेज के वे खुशगवार दिन, खुशनुमा माहौल और हसीन उम्र का दौर, शेरो-शायरी का जज्बा, कुछ लिखने की तमन्ना, सुबहो-शाम शायराना सुरूर, ग़ज़लों की महफ़िलें, सुखनवरों के कलाम, इन सबका रंग ख़रामा-खरामा चढ़ता गया और न जाने कब कैसे उर्दू की मिठास जुबाँ में घुलती गई, नतीजतन शेरो-शायरी, नज्मों-गज़…
उल्फ़त
उल्फ़त हुये जवाँ उनके अफ़साने इश्क बहुत मशहूर हुआ मिका देखके उनकी पाक मोहब्बत स आफ़ताब बेनूर हुआ वो उसका फलक वो उसकी माहरू चर्चे उनके खूब कू-ब-कू वो उनकी हसरतें उनका जुनूं गलशन-सेहरा बिखरी हर-( वो सब्ज़ वादियाँ, सुर्ख शफ़क वे पाक परिंदे कहाँ-कहाँ हर गोशे में सरगोशी-सी उनका अपना दिलशाद जहाँ लोगों ने…
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शुक्रिया 
'डोलते अक्स' चंद नज्मों, ग़ज़लों और शेरों का एक गुलदस्ता हैं, इसमें गुंचे है रंगों-ब रंग किन्तु किसकी खुशबू कितनी तासीर रखती है, खुदा जाने, इसीलिए मैंने चाहा आप साहबान, कुछ लिखें, कुछ कहें कि मेरी इस उर्दू-हिन्दी नज्मों-गज़ल पर कुछ रोशनी हो, कुछ सीखने का शऊर मिले, इसके लिए मैं जाने-माने शा…
शायरी अच्छी वही होती है जो दिल को छू ले
शायरी अच्छी किसी भी संग्रह के बारे में विचारों की अभिव्यक्ति एक कठिन काम है, क्योंकि इल्म किसी की जागीर नहीं होता। अपने-अपने शौक और प्रतिभा पर निर्भर है कि विद्या के सागर में डूबकर किसने कितने रत्न प्राप्त किये हैं। मेरे विचार में किसी भी कविता में दो बातों का होना अत्यन्त आवश्यक और महत्त्वपूर्ण है…